सोमवार, 15 अगस्त 2022

विश्व शांति का स्त्रोत भारतीय संस्कृति और अध्यात्म भाग 3

गतांक से आगे... 

व्यष्टि, समष्टि और परमेष्टि
अब इतने शुद्ध और श्रेष्ठ विचारों, सूत्रों, श्लोकों की श्रंखला कहाँ से आयी? इसका आधार क्या है? चित्त वृत्ति का विकास क्रम, सबसे ऊंची परत चेतना की परत पर। भारत के ऋषि, मुनियों ने, दार्शनिकों नें अपने चिंतन मनन के द्वारा ज्ञान दृष्टि से चित्त द्वारा चित्त के पार अपने सत्य स्वरुप चैतन्य को जाना और उस स्वरुप में स्थित हुए।

गुरुवार, 4 अगस्त 2022

विश्व शांति का स्त्रोत भारतीय संस्कृति और अध्यात्म.. भाग 2

 गतांक से आगे... (2)

(3) भारतीय संस्कृति में वैचारिक क्षमता की चर्चा में एक और श्लोक है.. 

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

शनिवार, 30 जुलाई 2022

विश्व शांति का स्त्रोत भारतीय संस्कृति और अध्यात्म

 

विश्व शांति का स्त्रोत भारतीय संस्कृति और अध्यात्म

विश्व शान्ति चाहते हैं तो भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की शरण में जाना पड़ेगा। नहीं जायेंगे तो मानव समाज, प्रकृति और इस पृथ्वी का शीघ्र विनाश को कोई रोक नहीं सकता। 

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

अखण्ड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम

अखण्ड मंडलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम....

गुरु वंदना की ये पहली पंक्ति है। अद्भुत है।

इसमें उस अस्तित्व का वर्णन हो गया, उसको नाम कोई भी दे दो। वो तत्व वही रहेगा, वही मूल वस्तु है, जिसका साक्षात्कार गुरु की शरण में जाने से गुरु नें करवा दिया। गुरु स्वयं उसका साक्षात्कार कर चुका है। गुरु स्वयं उस भाव में स्थित है। अनुभवक्रिया में। कोई विश्वरूप परमात्मा, कोई विश्वरूप हरि, कोई शिव-शक्ति, कोई विश्वं विष्णु, विश्व चित्त इत्यादि कुछ भी कह दो अस्तित्व वही रहेगा।

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

ध्यान

 ध्यान 

जगत में मनुष्यों द्वारा निष्पादित सारे कार्यों को ध्यान से ही किया जाता है। खाना बनाना है तो ध्यान पूर्वक ही बनाना पड़ेगा। कार चलानी है तो ध्यान पूर्वक चलानी पड़ेगी।लेख लिखना है तो ध्यान पूर्वक लिखना है।

बुधवार, 20 अप्रैल 2022

ज्ञानी - ज्ञानीभक्त

ज्ञानी - ज्ञानीभक्त 

ज्ञानी 

ज्ञान मार्ग विलक्षण मार्ग है। सीधा मार्ग है। आत्मज्ञान। ब्रम्हज्ञान । ब्रम्हज्ञान अर्थात अस्तित्व जो संपूर्ण है। अस्तित्व स्वयं आत्मन, साक्षी अनुभवकर्ता रूप में स्वयं में होने वाले परिवर्तनों का अनुभव ले रहा है।अस्तित्व को समझने के लिए अनुभवकर्ता और अनुभव दो भाग करने पड़ते हैं। अन्यथा अद्वैत है। उसी प्रकार जैसे समुद्र में उत्पन्न हजारों लहरें और जल एक ही है।

सोमवार, 18 अप्रैल 2022

मानव जीवन - एक प्रवाह

मानव जीवन एक प्रवाह है। 

शरीर में विभिन्न गतिविधियां चल रही हैं। श्वांस चल रही है। हृदय गतिमान है। धड़क रहा है। पूरे शरीर में रक्त संचार हो रहा है। इसके विभिन्न अंग किडनी, लिवर, पैंक्रियाज़ इत्यादि कार्य कर रहे हैं। सारे अंग प्रत्यंग आपस में लय में हैं। भूख, प्यास, रोग, निरोग, मल मूत्र विसर्जन, इत्यादि, ये सब  स्वयंमेव हो रहा है।एक प्रवाह की भांति हो रहा है। ऐसा हो रहा है कि इसमें साक्षी भाव में रहने के बाद भी इनमें कई प्रक्रियाओं का कोई आभास नहीं रहता अर्थात इतनी सरलता और सुगमता से हो रहा है कि अनुभूत नहीं होता। जबकि कुछ का पता चलता है। परंतु ये पक्का है कि ये सब हो रहा है।

विश्व शांति का स्त्रोत भारतीय संस्कृति और अध्यात्म भाग 3

गतांक से आगे...  व्यष्टि, समष्टि और परमेष्टि अब इतने शुद्ध और श्रेष्ठ विचारों, सूत्रों, श्लोकों की श्रंखला कहाँ से आयी? इसका आधार क्या है? च...