चैतन्य ही संसार है..
साक्षी है, आत्मन है, चैतन्य है, सर्वत्र है.. तो क्या उसके सिवा कुछ और हो सकता है? अगर दृष्टा है, सर्व समर्थ है, तो आनंद में ही स्वयं में चित्त शक्ति द्वारा दृश्य दृष्टि प्रकट कर लिया... और इस खेल का, इस लीला का, इस कौतुक का आनंद ले रहा है, वो भी बिना कुछ किए।
ज्ञानी जनों ने, संतों ने, ऋषियों ने इस गहराई को जान लिया, जो दृष्टा है वही दृश्य है, अनुभूत कर लिया, साक्षात्कार कर लिया, ये स्थिति जो है बस है। इसको व्यक्त करने के लिए शब्द कोई है नहीं। ये स्थिति अपने आप में पूर्ण है। यही अस्तित्व है। अस्ति भाति प्रियत्व है।
यही अस्तित्व साक्षी होकर, चैतन्य होकर अनुभवकर्ता के रूप में स्वयं का अपने परिवर्तन शील रूप का अनुभव कर रहा है।
ज्ञानी जन अभेद होकर, अस्तित्व होकर जगत में विचरण करते हैं। उनकी दृष्टि अनुभव के गहरे में, उसकी पृष्ठभूमि चैतन्य पर होती है। उनको स्थूल और सूक्ष्म नहीं उसका भी कारण प्रकाश, चैतन्य अनुभूत होता है।उनको अंदर बाहर सर्वत्र चैतन्य ही प्रतीत होता है। उसी की चेतना में सर्वत्र चित्त की सारी प्रकट अप्रकट परतें, जीवों की, प्राणियों की, मनुष्य की सारी चित्तवृत्तियां.. संपूर्ण सृष्टि प्रतीत होती है।
यही है जहाँ दो नहीं है। अद्वैत कहा है इसे। शून्य में अनंत संभावनाओं से पुनः पुनः प्रकट हो पुनः पुनः उसी शून्य में विलीन होता है। यही चैतन्य और उसकी लीला है, माया है, जिसकी प्रतीति सदैव होती रहती है।
अस्तित्व में सब कुछ है। अपना रहस्य बताने के लिए गुरू रूप में उपलब्ध है। साधक रूप में जब अस्तित्व को जानने की तीव्र जिज्ञासा होती है तो स्वयं का ज्ञान कराने अनेक तरीकों से समझाने के लिए गुरू रूप में प्रकट होता है। और अपना उद्घाटन करता है।
महिमा अपरंपार है उसकी।
एक भजन की दो पंक्तियों का आनंद लेते हैं..
बोलो सारे मिल के चैतन्य चैतन्य ही संसार है।
सबके अंदर बाहर भाई एक वही करतार है ॥
एक दूसरे भजन की पंक्तियाँ..
इन नैनन से देखता, चैतन्य जग में सार।
देखने हारा है कहे, तू ही जगत आधार ॥
🙏🏵️
👍
जवाब देंहटाएंआनंद
https://purnamshunya.blogspot.com/
धन्यवाद कुंवर सिंह जी
हटाएंसुन्दर रचना है। 👌🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी।
हटाएंअज्ञात ही लीला में ज्ञात हो जाता है और फिर अज्ञात
चैतन्य ही है आधार, चैतन्य ही है सब का सार।
जवाब देंहटाएंलेख पढ़के आया आनंद ,आपका हृदय से आभार
धन्यवाद योगेश जी.. आपका चैतन्य भाव प्रकट है।
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